मेरे पिता…

मेरे पिता… गर्मियों की छाँव हो तुमसर्दियों की धूप मेरे,तुम्हीं हो काशी, तुम्हीं हो काबातुम्हीं तो हो बस राम मेरे। सुबह मेरे हर दिवस की भविष्य हो तुम, अतीत मेरे,तुम्हीं हो साँसें, तुम्हीं हो धड़कनख़ुशी भी तुम जब ग़म घनेरे। बलिदानों से तेरे बना ये जीवनआशा हो तुम जब हताशा हो घेरे, प्यार हो तुम, शांति भी तुमशक्ति हो और ग्यान मेरे,आँखों की मेरे दृष्टि भी तुम शब्द भी और गीत मेरे। बलिदानों से तेरे बना ये जीवनगर्व हमको, हम संतान तेरे,मार्गदर्शक हर डगर के मित्र भी तुम पित्र मेरे!!!! दुष्यन्त दुष्यन्त सिंह…

A small Accident

Road accident is most unwanted thing to happen to a road user, though they happen quite often. The most unfortunate thing is that we don’t learn from our mistakes on road. Most of the road users are quite well aware of the general rules and safety measures while using roads but it is only the laxity on part of road users, which cause accidents and crashes. Main cause of accidents and crashes are due to human errors.

आज की शाम…

आज की शाम… बज रही वीणा पवन की, चिर गयी बदली गगन की, झाँकती रानी किरन की, चूमते मधुकर लुभाने, हो ना जाये कली धुमैली, भोर की अब कौन जाने । साँझ बेला कब रुकेगी, वात साँसों में थकेगी,  नीलिमा तम में छुपेगी, शीत की ठिठुरन सी बन कर, कौन तन मन में समाने, भोर की अब कौन जाने। दुष्यन्त दुष्यन्त सिंह चौहानचित्रकार, कवि, फोटोग्राफ़र और बाईकर..देश प्रेम को दिल में लिए एक सिपाही।सब कुछ देखा, सब में डूँढा.. तेरा जैसा कोई नहीं माँ.. मैं हूँ पथिक, मार्ग की बाधा कंकड़…

आज सुबह….

आज सुबह…. पूरब दिश से उगता सूरजमेघ लालिमा देख रहा, जैसे श्याम सज़ीली युवती का अनगढ़ यौवन निखर रहा, मुक्त बहकती युवा बदलियाँ मदमस्त और खोयीं खोयीं, कोयल कूके, पपीहा बोले किरणें सूरज की सोयीं सोयीं..!!! दुष्यंत दुष्यन्त सिंह चौहानचित्रकार, कवि, फोटोग्राफ़र और बाईकर..देश प्रेम को दिल में लिए एक सिपाही।सब कुछ देखा, सब में डूँढा.. तेरा जैसा कोई नहीं माँ.. मैं हूँ पथिक, मार्ग की बाधा कंकड़ काँटों से परिचित हूँ,मंज़िल दूर बहुत है लेकिन मैं गतिशील और अविजित हूँ ..

जाओ संदेश समीर सहारे….

जाओ संदेश समीर सहारे…. निर्जन हो, वीराना या इठलाती दरिया के किनारे, बाट जोहता मैं असहाय इस उपवन से उस चौबारे,  व्यथा, कथा, प्रतीक्षा, तनहाई और संताप हमारे, कह देना उनको तुम जाओ, संदेश समीर सहारे। गाँवों गली उन्हें खोजना कहीं मिलेगा वो निर्मोही, रोना और सिसकना, बस मेरा था साथी वो ही, पवन झकोरों पर चढ़कर समझाना उनको शाम सबेरे, पुनर्मिलन की आशा में साँसें चलती धड़कन  भी पुकारे, अब तो जाओ संदेश, समीर सहारे…. दुष्यन्त दुष्यन्त सिंह चौहानचित्रकार, कवि, फोटोग्राफ़र और बाईकर..देश प्रेम को दिल में लिए एक…

Hippopotamus, Bicycle and a Punjabi

Human Rights Day: That Year 1000h LT: SOS received for Casevac (casualty evacuation) from a tense mined area. Situation: A lady was bitten by a Hippo and her leg was hanging loose by a cartilage. 1100h LT: Briefed and Launched 1300h LT: Rescued and brought back. 1305h LT: Relatives spotted, who had come to pick her up on a bicycle. 1310h LT: Failed to convince them for hospital transport. 1311h LT: Relatives refused any further assistance or intervention. 1315h LT: Taken away on a bicycle ambulance.  Next Day, Same year:…