राम जिनका नाम है,
अयोध्या जिनका धाम है,
ऐसे रघुनंदन को,
हमारा प्रणाम है,
जिनके मन में श्री राम है,
भाग्य में उसके वैकुण्ठ धाम है,
उनके चरणो में जिसने जीवन वार दिया,
संसार में उसका कल्याण है,
रामजी की ज्योति से नूर मिलता है,
सबके दिलो को सुरुर मिलता है,
जो भी जाता है रामजी के द्वार,
कुछ न कुछ जरुर मिलता है
*आपको और आपके परिवार को, राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाये।*
रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है।
हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन मर्यादा-पुरूषोत्तम भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था।
ऐंसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से उपासक की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। चैत्र मास की नवरात्रि के समापन के बाद ही राम नवमी का पर्व आता है.
हिन्दू धर्म के बहुत से लोग आज भी नमस्कार के रूप में राम-राम कहते हैं और कोई विपत्ति, भय या संकट होने पर हे राम! कहते हैं.
पुराणों और शास्त्रों के अनुसार राम का नाम भगवान राम से भी बड़ा है. खुद महादेव भी राम का नाम जाप करते है। राम का नाम दुखों को हरने वाला, दुखों को हराने वाला होता है। वहीँ यदि कोई मनुष्य अपने अंतिम क्षणों में भगवान राम का नाम लेता है तब उसकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
*हिन्दू धर्म मे दो नवरात्रि मनाई जाती हैं।*
पहली चैत्र नवरात्रि और दूसरी अश्विन नवरात्रि।
चैत्र नवरात्रि मार्च/अप्रैल मे हिन्दू नववर्ष की एकादशी से शुरू होती है। आश्विन नवरात्रि सितंबर/अक्टूबर में आती है, जिसे शारदीय नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। दोनों में ही मातारानी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है।
चैत्र नवरात्रि के दौरान कठिन साधना और कठिन व्रत का महत्व है। महिषासुर मर्दन के लिए देवताओं ने माता पार्वती को प्रसन्न कर उनसे रक्षा का अनुरोध किया. इसके बाद मातारानी ने अपने अंश से नौ रूप प्रकट किए, जिन्हें देवताओं ने अपने शस्त्र देकर शक्ति संपन्न किया. ये क्रम चैत्र के महीने में प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर 9 दिनों तक चला।
अश्विन नवरात्रि में देवी दुर्गा ने महिषासुर पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया. इसलिए इन नौ दिनों को शक्ति की आराधना के लिए समर्पित कर दिया गया। इसी दौरान सात्विक साधना, नृत्य, उत्सव आदि का आयोजन किया जाता है। अश्विन नवरात्रि के दसवें दिन को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता। इसी दिन प्रभु श्रीराम ने रावण का वध भी किया था।