आज सुबह….

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आज सुबह....
पूरब दिश से उगता सूरजमेघ 
लालिमा देख रहा,
जैसे श्याम सज़ीली युवती का
अनगढ़ यौवन निखर रहा,
मुक्त बहकती युवा बदलियाँ
मदमस्त और खोयीं खोयीं,
कोयल कूके, 
पपीहा बोले
किरणें सूरज की सोयीं सोयीं..!!! 

दुष्यंत
Dushyant

दुष्यन्त सिंह चौहान
चित्रकार, कवि, फोटोग्राफ़र और बाईकर..देश प्रेम को दिल में लिए एक सिपाही।सब कुछ देखा, सब में डूँढा.. तेरा जैसा कोई नहीं माँ.. 
मैं हूँ पथिक, मार्ग की बाधा कंकड़ काँटों से परिचित हूँ,
मंज़िल दूर बहुत है लेकिन मैं गतिशील और अविजित हूँ ..

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