अक्टूबर की वो शाम…

Spread the messageदुष्यन्त सिंह चौहान द्वारा रचित कविता आप के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ।दुष्यन्त एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति हैं – चित्रकार, कवि, फोटोग्राफ़र और बाईकर..देश प्रेम को दिल में लिए एक सिपाही। अक्टूबर की वो शाम… हंसीं वादियाँ, पवन ये ठंडीसाथ तुम्हारा और पगडंडी, पास से झरने की कल कलपेड़ों में चिड़ियों की हलचल, हाथों में था हाथ तुम्हारारेखाओं का खेल ये सारा, उड़तीं कुछ बूँदें करती नमसाथ साथ साँसों का सरगम, दूर पहाड़ी से प्रेमी का गीतबिछड़ गया उसका मनमीत, हाथों की जकड़ हुई तेज,घबराया मनपर … Continue reading अक्टूबर की वो शाम…